रविवार, 20 दिसंबर 2009

बात

‘बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी,
जैसी अब है तेरी महफिल कभी ऐसी तो न थी?’

सोमवार, 14 सितंबर 2009

कहीं कुछ नया हो रहा है!

साल 2009 के गुजरे नौ महीनों में मीडिया में खास क्या हुआ, यह खंगाले तो ब्लागिंग की दुनिया काफी कुलाचें भरती नजर आती है। इंटरनेट के शहर में ब्लागिंग के अनगिनत ऐसे नए माल मिल जाएंगे जो मीडिया को नया तेवर और कलेवर देने के लिए बेताब हैं। इसका ग्लैमर और बेबाकी नई पीढ़ी को काफी लुभा रही है। ऐसा होना लाजिमी है क्योंकि इसने लिखने पढ़ने का असीमित दायरा दिया है। यह न सिर्फ मीडिया के विस्तार बल्कि इसके व्यावसायिक हितों में मददगार भी है। आज यह दुनिया पत्रकारिता को एक नई दिशा देने को उतावली है। पत्रिकाओं, अखबारों में स्पेस और टीवी में टाइम की कमी जैसी अड़चने यहां नहीं जितना चाहे लिखो, जितना चाहे पढ़ो। आपकी इस दुनिया में आपका दोस्त बनकर आया है चलतापुर्जा।